Friday 10 July 2020

निकाह का ख़ुतबा

तमाम तारीफें और शुक्र अल्लाह के लिए है हम उसका शुक्र अदा करते हैं उससे मदद मांगते हैं (अपने गुनाहों की) माफ़ी चाहते हैं और अपने मन की बुराई और बुरे कामों से बचने के लिए अल्लाह की पनाह में आते हैं, जिसे अल्लाह हिदायत दे उसे ग़ुमराह करने वाला कोई नहीं, मैं गवाही देता हूँ की अल्लाह के सेवा कोई माबूद नहीं और मैं गवाही देता हूँ की मुहम्मद (सल्ल ०) उसके बन्दे और रसूल हैं
इसके बाद क़ुरान की आयते पढ़ी जाती हैं

ऐ लोगों! अपने रब का डर रखों, जिसने तुमको एक जीव से पैदा किया और उसी जाति का उसके लिए जोड़ा पैदा किया और उन दोनों से बहुत-से पुरुष और स्त्रियाँ फैला दी। अल्लाह का डर रखो, जिसका वास्ता देकर तुम एक-दूसरे के सामने माँगें रखते हो। और नाते-रिश्तों का भी तुम्हें ख़याल रखना हैं। निश्चय ही अल्लाह तुम्हारी निगरानी कर रहा हैं

ऐ ईमान लानेवालो! अल्लाह का डर रखो, जैसाकि उसका डर रखने का हक़ है। और तुम्हारी मृत्यु बस इस दशा में आए कि तुम मुस्लिम (आज्ञाकारी) हो

ऐ ईमान लानेवालो! अल्लाह का डर रखो और बात कहो ठीक सधी हुई

वह तुम्हारे कर्मों को सँवार देगा और तुम्हारे गुनाहों को क्षमा कर देगा। और जो अल्लाह और उसके रसूल का आज्ञापालन करे, उसने बड़ी सफलता प्राप्त कर ली है



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