आयात में एक बात यह फ़रमाई गई कि “रिश्ते और क़राबत के ताल्लुक़ात को बिगाड़ने से बचो |”
यानी रिश्ते-नातों को तोड़ने में ख़ुदा
से डरो। नबी (सल्ल०) ने फ़रमाया कि वह शख़्स जन्नत में नहीं जा सकता जो रिश्तों को तोड़ता हो।
फ़रमाया कि अगर तुम रिश्ते-नातों का
ख़याल नहीं रखोगे तो यकीन जानो कि अल्लाह तुम पर निगरानी कर रहा है|”
नबी (सल्ल०) ने फ़रमाया –
“अल्लाह के नज़दीक
हलाल चीज़ों में सबसे नापसन्दीदा काम तलाक़ है।” (हदीस : अबू-दाऊद 863)
एक दूसरी हदीस में है:
“जो औरत अपने शौहर
से बगैर किसी मुनासिब वजह के तलाक़ मॉँगती है तो उस पर जन्नत की ख़ुशबू हराम हो
जाती है।” (हदीस : अबू-दाऊद 899)
शैतान चूँकि इंसान का दुश्मन है और हर
वक़्त उसकी घात में लगा रहता है कि कहाँ मौका मिले कि उसे अल्लाह की भटका दें | इसलिए वह बिलकुल नहीं चाहता की एक लड़का और एक
लड़की निकाह के मुक़द्दस बन्धन में बँधकर पूरी ज़िन्दगी इबादत के तौर पर गुज़ारें। इसलिए वह
वसवसों के ज़रिए दोनों के बीच में दरार डालने की कोशिश में लगा रहता है। इस काम पर शैतान का सरदार अपने कारिन्दों को इनाम से
नवाज़ता है।
एक रिवायत में तफ़्सील से बयान किया गया
है कि-
“इबलीस पानी पर अपना
दरबार जमाता है और अपने कारिन्दों को इनसानों को बहकाने के लिए भेजता है। इनमें से वह शैतान बड़े
मर्तबे हासिल करता है जिसने बड़े-बड़े फ़ितने पैदा किए हों। फिर उनमें से एक आता है और
कहता है कि मैंने यह कर दिया, वह कर दिया (यानी फ़ुलाँ को गुमराह कर दिया ) इब्लीस कहता है तूने कुछ
भी नहीं किया | फिर एक दूसरा आता
है और वह कहता है की मैंने मियाँ और बीवी में जुदाई करा दी | फिर उसको वह अपना क़रीबी बना लेता है |”
(हदीस: मुस्लिम 39 : 6755 )
इससे यह बात मालूम होती है कि शैतान हमेशा यह चाहता है
कि शौहर और बीवी के दरमियान प्यार और मुहब्बत न पनपने पाए। अगर शौहर और बीवी आपस में झगड़ते और
रिश्ते को तोड़ने पर आमादा होते हैं तो असल में यह इबलीस के मंसूबे पर काम करना है। इससे
हमें पूरी तरह बचने की कोशिश
करनी चाहिए।
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