Friday 10 July 2020

No Valentine I am MUSLIM

14 फरवरी प्यार का दिन या इंसानियत के अपमान का दिन
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सिखाए हैं मोहब्बत के नए अन्दाज़ मगरिब ने
हया सर पीटती है इस्मतेँ फरयाद करती हैं
अश्लीलता को बढ़ावा देने के लिए व्यक्तिगत रूप से जहां विभिन्न उपाय उपयोग किए गए वहीं सामूहिक तथा विश्व्व्यापि कुछ दिन बनाए गए, कि धीरे धीरे अश्लीलता और नग्नता को आम किया जाए, नैतिक मूल्यों का हनन किया जाए, जिससे समाज में ऐसा समय आये कि अश्लील मामलों को देखने या अपनाने में कोई शर्म महसूस न हो।


नंगेपन के इज़हार और बेहयाई को बढ़ावा देने के लिए नया साल (new year) क्या कम था कि प्यार का दिन (Valentine day) के शीर्षक से एक स्थायी दिन भरिपूर जोश के साथ मनाया जाने लगा, क्योंकि भारतीय समाज में इस दिन को मनाने के पीछे पश्चिम कोरी अनुकरण का भाग है और इस अनुकरण में मुस्लिम समाज के कई लोग भी आगे आगे दिखाई देते हैं, इसलिए कि यह नई प्रथा मुस्लिम समाज में भी दबे पांव प्रवेश कर रही है-

सबसे पहले प्यार का यह बदनाम दिन केवल अमेरिका और यूरोप की नैतिकता और मूल्यों से दूर नैतिक पतन उत्सव झूमते गाते नाइट क्लबों में ही पारंपरिक तरीके से मनाया जाता था, मगर आज तो हर जगह पश्चिम और उसकी नंगी सभ्यता की अंधी तक़लीद का बोल बाला है, पूरब वालों ने जहां उनकी नक़ल विशेष पद्धति रिवाज अपनाने को अपनी तरक़्क़ी समझ रहे हैं वहीं दीन व मिल्लत के तार पौद बिखेरने वाले हया बाखतह गैर शरई दिनों को शरीअत की कसौटी पर परखे बिना बिला चुनों चुरा मानने, मनाने और उत्सव करने को अक्लमंदी और विकाश की निति तसव्वुर कर रहे हैं।
इस दिन को जिस तरीके से मनाया जाता है और जिस तरह अभद्रता होती है, इस्लामी समाज तो क्या कोई भी सभ्य समाज इसकी इजाजत नहीं दे सकता- रिपोर्टों के अनुसार valentine day पर शादी और अविवाहित जोड़े खुले आम प्यार का इजहार करते हैं, प्यार की आड़ में आगे जो गन्दा खेल खेला जाता है वह और अधिक खतरनाक है- कीमती उपहारों और गुलाब के फूलों का विनिमय (exchange) तो आम सी बात है, लेकिन इस अवसर पर कई जोड़े मनोरंजन स्थलों का भी रुख करते हैं जहां शराब के नशे में धुत्त होकर ऐसी अभद्र हरकतें की जाती हैं, जिन्हें मानवता के माथे पर कलंक ही कहा जा सकता है।


Valentine’s day की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:

वेलेंटाइन दिवस क्या है? यह कैसे प्रचलित हुआ? इस सिलसिले में कोई प्रामाणिक और अंतिम राय मौजूद नहीं …. कुछ घटनाओं को इस दिन के साथ जोड़ा जाता है.

बुक ऑफ नॉलेज इस घटना का इतिहास बयान करते हुए लिखते हैं: वेलेंटाइन डे के बारे में माना जाता है कि इसकी शुरुआत एक रोमन त्योहार लोपर कालिया (Looper Celia) के मामले में हुई। प्राचीन रोमन पुरुष इस त्योहार के मौके पर अपने दोस्त लड़कियों के नाम अपनी कमीज़ की बाँहों पर लगाकर चलते थे। कभी कभी यह जोडे उपहार का आदान प्रदान भी करते थे। बाद में जब इस त्योहार को Saint Valentine के नाम से मनाया जाने लगा तो उसकी कुछ परंपराओं को बनाए रखा गया। यह हर उस व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण दिन माना जाने लगा कि husband या wife की खोज में था। सत्रहवीं सदी की एक आशावादी स्त्री से यह बात मंसूब है कि उसने Valentine’s day वाली शाम को सोने से पहले अपने तकिये के साथ पांच पत्ते टांके उसका मानना ​​था कि ऐसा करने से वह सपने में अपने होने वाले पति को देख सकेगी। बाद में लोगों ने उपहार की जगह Valentine’s day का सिलसिला शुरू कर दिया।

(Valentine’s day : मोहम्मद अता सिद्दीकी, पृष्ठ 3)
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इसके अलावा एक और प्रमुख घटना जो वेलेंटाइन नामक व्यक्ति के साथ मंसूब किया है इसके बारे में भी अताउल्लाह सिद्दीकी लिखते हैं:
इस बारे में कोई आधिकारिक संदर्भ मौजूद नहीं लेकिन एक गैर प्रामाणिक काल्पनिक कथा यह भी पाई जाती है कि तीसरी शताब्दी में वेलेंटाइन नाम के एक पादरी था जो एक नन (Nun) की मोहब्बत में गिरफ्तार हुआ। चूंकि ईसाई भिक्षुओं और नन के लिए विवाह वर्जित था। इसलिए एक दिन Valentine ने अपनी प्रेमिका की संतुष्टि के लिए उसे बताया कि उसे सपने में बताया गया है कि 14 फरवरी का दिन ऐसा है उसमें अगर कोई भिक्षु या नन लिंग मिलान भी कर लें तो उसे पाप नहीं माना जाएगा। नन ने उन पर विश्वास किया और दोनों जोश इश्क में यह सब कुछ कर गुजरे। चर्च की परंपरा की यूं धज्जियां उड़ाने में उनका हश्र वही हुआ जो आमतौर पर हुआ करता है यानी उन्हें मार दिया गया। बाद में कुछ मनचलों ने Valentine कोप्यार का शहीद क़रार देते हुए उनकी याद में मनाना शुरू कर दिया। चर्च ने इन खुराफात की हमेशा निंदा की और उसे सेक्स बेराहरवी के प्रचार पर आधारित बताया। यही वजह है कि इस साल भी ईसाई पादरियों ने उस दिन की निंदा पर कड़े बयान दिए। बैंकाक में तो एक ईसाई पादरी ने कुछ लोगों को लेकर एक ऐसी दुकान में जमकर आगजनी कर दिया जिस पर वेलेंटाइन कार्ड बिक रहे थे। यह थे वे घटनाए है जो आम तौर पर वेलेंटाइन डे के बारे में प्रसिद्ध हैं।
अश्लीलता हर धर्म में एक बुराई है:
अश्लीलता और नग्नता को हर धर्म ने हराम करार दिया हे.दीन इस्लाम तो है ही पवित्र और साफ धर्म, कुरान में अल्लाह तआला का इरशाद है:

إنَّ الَّذِيْنَ يُحِبُّوْنَ أنْ تَشييْعَ الْفَاحِشَةُ فِيْ الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا لَهُمْ عَذَابٌ اَلِيْمٌ فِيْ الدُّنْيَا وَالاٰخِرَةِ
निश्चित रूप से जो लोग चाहते हैं कि विश्वास करने वालों के समूह में अश्लील (और बेहयाई) फैले वह दुनिया और आखिरत में दर्दनाक सजा के हकदार हैं।

वेलेंटाइन तो है ही अभद्रता और अश्लीलता का दिन लिहाज़ा उसे किसी सूरत भी एक नेक समाज में अख्तयार नहीं किया जा सकता।

सूरह आराफ़ में अल्लाह तआला फरमाता है:।
قُلْ اِنَّمَا حَرَّمَ رَبِّيَ الْفَوَاحِشَ مَا ظَهَرَ مِنْهَا وَمَا بَطَنَ وَالْاِثْمَ وَالْبَغْيَ بِغَيْرِ الْحَقِّ (الاعراف:33)
ऐ(नबी) कह दो, मेरे रब ने सभी प्रकार की अश्लील बातें हराम की हैं चाहे वह ज़ाहिर में (अधिसूचना) हों या छुपी (अदृश्य) हुई हों और हर पाप की बात को और नाहक़ (अकारण) किसी पर अत्याचार करने को भी हराम क़रार दिया है।

इस आयत में शब्द फवाहिशप्रयोग हुआ है.इसका जमा फ़ाहि शा (वेश्या) है. और इसका का अनुवाद अधर्म और बे हयाईसे है .भला Valentine’s day से अधिक बेहयाई और व्यभिचार किसी और दिन भी होता है ?

Conclusion

Valentine’s day को मनाना धार्मिक, नैतिक और सामाजिक स्तर पर गलत और वर्जित है। इस्लाम न केवल बुराई के रास्तों को बंद करता है, बल्कि बुराई की ओर जाने वाले हर रास्ते को भी बन्द करना चाहता है। Valentine’s day अश्लीलता का दूसरा नाम है। इसको समाज में रिवाज देना अश्लीलता का दरवाजा खोलना। पश्चिमी संस्कृति (Western culture) का उदाहरण हमारे सामने है जहां अविवाहित माताओं और बिना पिता के बच्चे फल फूल रहे हैं और परिवार प्रणाली में पूरी तरह बिखराव हो चूका है।


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